I am a Trail
By Dr. Padmja Sharma
I am a trail, will go home
Do not connect me with highways and roads
My reach is limited
Will not be able to walk that much
I am small, will get tired of dragging the burden of a city
I am a trail, will go home
Heavy vehicles will ride over my chest
Will blow mud, dust and pebbles
I will suffocate
Will not be able to say anything to anyone
Someone would steal and I will be blamed
Innocent will be kidnapped
and I will only watch helplessly
I am a trail, I will go home
I was afraid of the dark
Now the lights will scare me too
In the name of widening the roads
Greenery will be cut
I will die while I am alive
I am a trail, will go home.
पगडंडी हूँ घर जाऊँगी
जोड़ो न राजमार्गों -सड़कों से मुझे
मेरी पहुँच कम है
ज्यादा चल नहीं पाऊँगी
छोटी हूँ शहरी बोझ ढोते -ढोते थक जाऊँगी
पगडंडी हूँ घर जाऊँगी
चलेंगे भारी वाहन मेरी छाती पर
उड़ाएंगे मिट्टी -धूल -कंकड़
मैं घुट जाऊँगी
किसी को कुछ कह भी नहीं पाऊँगी
चोरी करेंगे कोई और बदनाम मैं हो जाऊँगी
निर्दोषों के होंगे अपहरण
निर्निमेष देखती रह जाऊँगी
पगडंडी हूँ घर जाऊँगी
अँधेरों से तो घबराती ही थी
फिर रोशनियों से भी डर जाऊँगी
रास्ते चौड़े करने के नाम पर
हरियाली को काटा जाएगा
मैं जीते जी मर जाऊँगी
पगडंडी हूँ घर जाऊँगी
मैं गाँव से निकलकर
जोहड़े -खेत संभाल आऊँगी
मुझे सड़कों से मत जोड़ो
शहरों -बाज़ारों तक अगर गई
तो सच कहती हूँ मर जाऊँगी
पगडंडी हूँ घर जाऊँगी